Wednesday, 4 September 2013

सुहागरात

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प्रेषक : यश गर्ग
नमस्कार मित्रो, आप सभी ने मेरी पहली कहानी पढ़ी होगी 'पहला आनन्दमयी एहसास' इसलिए अपना परिचय मुझे नहीं देना पड़ेगा..
आप सभी के लिए आज मैं कुछ रोचक जानकारी लेकर आया हूँ, पढ़ें और जानें कि सुहागरात में क्या और कैसे करना चाहिए..
जब सुहागरात को दुल्हन कमरे में बैठी होती है उस समय जब दूल्हे को कमरे में भेजकर भाभियाँ बाहर से कुंडी लगा देती हैं तो दूल्हे को चाहिए कि कुंडी खुलवाने के लिए थोड़ा सा निवेदन करने के बाद स्वयं अंदर से दरवाजे का कुंडी अंदर से लगा दे।
अब दूल्हे को चाहिए कि वह अपने सुहागसेज की तरफ आगे बढ़े। इसके बाद दुल्हन का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पति का अभिवादन करने के लिए सेज से उतरने की कोशिश करे। इसके बाद दूल्हे को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को बैठे रहने के लिए सहमति दे तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले पर बैठ जाए।
इस समय में दुल्हन को चाहिए कि वह अपने मुखड़े को छिपाये लज्जा की प्रतिमूर्ति के सामान बैठी रहे क्योंकि लज्जा ही तो स्त्री की मान मर्यादा होती है। इस समय में दुल्हन के अंदर यह गुण होने आवश्यक है, जैसे- अदा, नखरे, भाव खाना तथा शर्मो-हया आदि।
हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि स्त्री के नाज तथा नखरे पर पुरुष दीवाना हो जाता है। लेकिन स्त्रियों को इस समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पुरुष नखरों से निराश होकर उदास हो, उससे पूर्व ही समर्थन और सहमति स्वीकार कर लेना चाहिए अन्यथा नाज नखरों का आनन्द दुःख में बदल जाएगा।
जब कोई स्त्री स्थायी रूप से नाज तथा नखरे करती है तो उसका पति उससे सेक्स करने के लिए कुछ हद तक तैयार हो जाता है।
अब दूल्हे को चाहिए कि वह दुल्हन का घूंघट धीरे-धीरे उठाए तथा मुँह दिखाई की रस्म को पूरा करते हुए कोई उपहार जैसे अंगूठी, चेन, हार आदि दुल्हन को देना चाहिए। इसके बाद पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ कुछ मीठी-मीठी बातें करते हुए परिचय बढ़ाए।
इसके बाद पति को चाहिए कि वह मेज पर रखी हुई जलपान सामग्री पलंग के पास ले आये। वैसे देखा जाए दाम्पत्य जीवन में खाना बनाना, खिलाना या परोसने का कर्तव्य पत्नी का बनता है लेकिन पहली रात के समय में पति को ही यह कर्तव्य करना चाहिए क्योंकि उस समय पत्नी बिल्कुल अंजान रहती है।
इसलिए पति ही मिष्ठान आदि परोसता है। पति को एक बात का ध्यान रखना चहिए कि पत्नी को मिष्ठान आदि का भोग कराते समय पत्नी को अपना परिचय दें तथा बढ़ाने की चेष्ठा बराबर करते रहनी चाहिए।
पति को अपने परिवार के सदस्यों, रस्मों तथा रिवाजों को बताना चाहिए। इसके बाद पति को चाहिए कि यदि अपना परिचय दुल्हन देने लगे तो उसकी बात को ध्यान से सुने या वह ऐसा न करे तो खुद ही उसे पूछना शुरू करना चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि वह अपने बारे में कुछ न बताना चाहे तो उसे मजबूर न करें और प्यार से बाते करें।
इस समय में पत्नी का कर्तव्य यह बनता है कि वह लज्जा अनुभव न करके बराबर हिस्सा ले।
इस समय में पति को चाहिए कि पहली रात में अपनी पत्नी के हाथों को स्पर्श करे, इसके बाद उसके रूप की प्रशंसा करे, उसे अपने हंसमुख चेहरे तथा बातों से हंसाने की कोशिश करे। इसके बाद धीरे-धीरे जब पत्नी की शर्म कम होती जाये तो उसे आलिंगन तथा चुम्बन करे।
यदि स्त्री प्रकाश के कारण संकोच कर रही है तो प्रकाश बंद कर दे या बहुत हल्का प्रकाश कर दे।
वैसे देखा जाए तो विवाह के बाद पुरुष की लालसा रहती है कि जल्दी ही अपने जीवन साथी से मिलने का अवसर मिल जाए तो सेक्स क्रिया का आनन्द उठाये। यह उतावलापन तथा कल्पना हर पुरुष के मन में होता है।
सभी पुरुष को ध्यान रखना चाहिए कि सुहागरात के दौरान जब तक स्त्री सेक्स क्रिया के लिए तैयार और सहमत न हो तो संभोग क्रिया सम्पन्न नहीं होती और यदि होती भी हो तो सेक्स क्रिया का आनन्द एक तरफा होता है।
इसलिए पुरुष पहले स्त्री के साथ फॉर-प्ले (पूर्व-क्रीड़ा) करें ताकि वह सेक्स के लिए तैयार हो जाए, तभी आपका मिलन ठीक प्रकार से हो सकता है।
यदि पत्नी आपके साथ आलिंगन-चुम्बन में सहयोग देने लगे तो पुरुष को चाहिए कि वह उसके शरीर के कई उत्तेजक अंगों को छूने का प्रयास करें जैसे- स्तनों का स्पर्श करें, धीरे-धीरे उनको सहलाएं तथा बाद में धीरे-धीरे दबाए।
इसके बाद पुरुष को चाहिए कि उसकी कमर, जांघ तथा नितंब आदि की तारीफ करे और धीरे-धीरे अपने हाथों से उसके कपड़े को उठाकर, हाथों को अंदर डालकर जंघाओं को सहलाए।
इसके बाद धीरे-धीरे अपने हाथों से उसकी योनि को स्पर्श करें तथा छेड़खानी करें। भगोष्ठों पर भी धीरे-धीरे हाथ फेरे और स्पर्श को भंगाकुर तक पहुंचाये, साथ ही साथ उससे कामोत्तेजित बाते भी करता रहे ताकि उसके अंदर सेक्स की आग भड़कने लगे।
इस प्रकार से फॉर प्ले का उपयोग करके पत्नी को कामोत्तेजना के मार्ग पर ले जाए ताकि उसके मन से किसी भी प्रकार का संकोच खत्म हो जाए। ऐसा करने से पत्नी का संकोच खत्म हो जाता है जिसके कारण से वह खुद ही पति को आलिंगन तथा स्तनों को दबवाने लगती है, अपनी योनि का स्पर्श पति से करवाने लगती है। इस क्रिया के समय में उसकी सांसें भी तेज चलने लगेंगी और कांपने लगेगी।
जब इस प्रकार की क्रिया पत्नी करने लगे तो पुरुष को समझ लेना चाहिए कि वह अब सेक्स के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है।
अब पुरुष को चाहिए कि अपने पत्नी के माथे को होठों से चूमे, इसके बाद उसके होठों को भी अपने होठों से चूमे तथा इसके साथ ही साथ उसके चेहरे के इधर-उधर तथा स्तन के पास के भागों को भी चूमते रहे। ऐसा करने से उसके अंदर की सेक्स उत्तेजना और भी बढ़ने लगेगी।
अब पति को चाहिए कि वह पत्नी को धीरे फॉर प्ले करने के साथ-साथ पलंग की तरफ ले जाकर लिटाने की कोशिश करे और उसके स्तनों पर के सारे कपड़े को उतार दें। फिर इसके बाद अपने हाथों से स्तनों को सहलाते हुए दबाएं। इस प्रकार से क्रिया करते समय पत्नी के मुंह से कई प्रकार की आवाजें निकलती हैं।
इसके बाद पत्नी के शरीर के नीचे के कपड़े भी पूरी तरह से उतार देना चाहिए।
उसके कपड़े को उतारने के लिए सबसे पहले उसके नाड़े को ढीला करें। इसके बाद जब वह केवल पेंटी पर रह जाये तो कुछ देर तक उसे इसी अवस्था में रहने दे तथा साथ ही साथ उसके पूरे शरीर को दबाना तथा सहलाना चाहिए। इसके बाद अपने लिंग को उसके तन से स्पर्श कराना चाहिए।
इस समय यदि पत्नी पति के इस प्रयास में साथ देती रहे तो पति को चाहिए कि वह पत्नी के स्तनों को और भी जोर से सहलाए। जब पति पत्नी के स्तनों को इस तरह से सहलाता है तो स्त्री को बहुत अधिक सुख तथा आनन्द मिलने लगता है। इस समय पत्नी के मन में कई प्रकार के विचार भी आते हैं जैसे- मेरा पति सबसे बलवान है, मेरी किस्मत इतनी अच्छी है जो मुझे ये मिले, मेरी आज रात सारी ख्वाहिशे पूरी हो जायेंगी और यह भी सोचती है कि यह मेरे साथ क्या-क्या कर रहे हैं।
इस अवस्था में कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी भी होती हैं जो पति द्वारा पेटी कोट खोलने के प्रयास को रोकने का प्रयास करती हैं लेकिन धीरे-धीरे वह अपने प्रयास को स्वयं ही खत्म कर देती हैं और निर्वस्त्र हो जाती हैं।
फिर दोनों आपस में एक-दूसरे को बाहों में लेकर आलिंगन करने लगते हैं। वे दोनों कुछ समय तक इसी अवस्था में रहते हैं तथा इसके बाद पति को चाहिए कि वह अपनी पत्नी के माथे, स्तन, छाती तथा कानों के पास के भागों को चूमे।
इस अवस्था में ही उसके नितंबों को सहलाते रहे। इसके बाद उसके स्तनों को दबाएं तथा सहलाएं और उसकी जांघों के बीच में हाथों को फ़िराते रहे।
ऐसी स्त्रियाँ अपने पति से अधिक शर्माती हैं क्योंकि यह पति-पत्नी दोनों के लिए पहली मिलन की रात होती है।
वह अपने हाथों से स्तनों को छिपाने तथा दोनों जांघों को सटाकर अपनी योनि को छिपाने का प्रयास करेंगी तथा अपनी आंखों को बंद कर लेंगी।
ऐसी स्थिति में पति को धैर्य से काम लेना चाहिए और किसी भी प्रकार का उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए। उसे यह समझना चाहिए कि वह यहां पर सभी से अंजान है और इसलिए ऐसा कर रही है।
इसके बाद पति को चाहिए कि वह प्यार से पत्नी की सभी चिंता तथा फिक्र को दूर करे, इसके साथ ही साथ फोर प्ले करता रहे।
ऐसा करने से कुछ ही देर में स्त्री की योनि गीली होने लगती है और उसमें भी संभोग की कामना होने लगती है।
इस प्रकार से सेक्स क्रिया करने से दोनों की कामवासना अधिक तेज होने लगती है तथा कुछ देर में स्त्री भी अपनी जांघों को खोलने लगती है।
यदि किसी कारण से पत्नी में कामवासना न जाग रही हो तो पुरुष को चाहिए कि पत्नी के भंगाकुर को अच्छी तरह से सहलाए। इसके बाद अपनी तीन-चार उंगलियों को मिलाकर योनि में प्रवेश करके अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे करना चाहिए।
इस प्रकार क्रिया करने से ठंडी से ठंडी स्त्री भी कामोत्तेजित होकर सेक्स क्रिया करने के लिए उतावली हो जाती है।
यह जानना आवश्यक है कि स्त्री की योनिद्वार अत्यधिक सिकुड़ी हुई होती है। इसमें पहली बार लिंग का प्रवेश करना आसान नहीं होता, बल्कि इसे आसान बनाना पड़ता है।
इस काम के लिए पुरुष को पहले से ही कहीं क्रीम, वैसलीन या तेल जैसा कोई भी चिकना पदार्थ पहले से रखना चाहिए ताकि लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पहले उस पर चिकना पदार्थ लगा ले।
वैसे तो इस समय में स्त्री की योनि और पुरुष का लिंग अपने आप ही अन्तर्रस से भीग जाते हैं लेकिन चिकनाहट के लिए कभी-कभी पर्याप्त नहीं साबित हो पाता।
अब पुरुष को चाहिए कि स्त्री के जांघों को फैलाकर दोनों पैरों को धीरे से उठाकर लिंग को योनि के मुख पर रख धीरे-धीरे दबाव डाले ताकि लिंग योनि के अंदर घुस जाए। इसके बाद धीरे-धीरे घर्षण करें, जिससे योनि पूरी तरह तरल पदार्थ से भीग जाएगी। अब पुरुष को स्त्री की जंघाओं को थोड़ा और फैलाकर लिंग को योनि में प्रवेश करवाएं तथा धीरे-धीरे धक्का लगा-लगाकर घर्षण करे।
यदि स्त्री की योनि अक्षत हो तो भी लिंग का दबाव पड़ने से योनि का आवरण फट जाएगा तथा लिंग आराम से आगे की ओर अग्रसित होगा।
कभी-कभी योनि आवरण पहले से भी फटा होता है, इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि स्त्री का शादी से पहले ही किसी के साथ संभोग हो चुका है। ऐसा संदेह पुरुष को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि स्त्री का अक्षत तो किसी भी कारण से फट सकता है जैसे- अधिक मेहनत का कार्य करने, अधिक व्यायाम करने, साईकिल चलाने, दौड़ने, खेल-कूद करने, सवारी करने आदि से।
इस तरह से सेक्स क्रिया करने के दौरान थोड़ा-सा आराम कर लेना चाहिए। इस बीच में स्त्री से प्यार भरी बाते करे।
इसके बाद फिर से योनि में लिंग को प्रवेश कराके धीरे-धीरे घर्षण चालू करते हुए ज्यों-ज्यों उद्वेग बढ़ता जाए, घर्षण की गति को बढ़ाते जाना चाहिए।
जब स्खलन होने लगे तो भी लिंग को योनि में रहने दें क्योंकि स्खलन के बाद भी लिंग का योनि में रखना स्त्री को सुखानुभूति प्रदान करता है।
अधिकतर सुहागरात के समय पुरुष अपनी कामोत्तेजना को शांत करने के बाद यह नहीं देखता है कि मेरी पत्नी भी संतुष्ट हुई है या नहीं।
यदि स्त्री संतुष्ट हो जाती है तो उसका शरीर ढीला पड़ जाता है, पसीना आने लगता है, आंखे बंद हो जाती हैं और लज्जा उसके चेहरे पर दुबारा से दिखाई देने लगती है।
जब इस प्रकार से संभोग क्रिया खत्म हो जाती है तो स्त्री-पुरुष दोनों को अपने-अपने अंगों को साफ करके दूध या शक्तिदायक और जल्दी से पचने वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
इसके बाद प्रेमालाप करते हुए आलिंगबद्ध होकर सो जाएँ। निश्चय ही यदि कोई पति अपनी पत्नी का हृदय सेक्स क्रिया के समय ही जीत लेता है और यह जीत जोर जबर्दस्ती से नहीं बल्कि पत्नी का विश्वास अर्जित करने के बाद करता है, तो दोनों के लिए मिलन की यह रात यादगार हो जाती है।
संभोग वाली रात को यह क्रिया पत्नी के सहमति से हो तो इसके बाद स्त्री अपने जीवन में यह पहली संभोग हमेशा के लिए याद रखती है और अपने पति पर जीवन भर विश्वास करती है।
इससे पति भी जीवनभर के लिए पत्नी का विश्वास जीत ही लेता है, दम्पत्ति का पूरा जीवन सरसता के सागर में क्राड़ा करते हुए ही गुजरता है।
आज के समय में परिस्थितियां इतनी अधिक बदल चुकी हैं कि पहले की तरह शादी के बाद दस रात्रि तक बिना सेक्स क्रिया के रहना सहज ही संभव नहीं रहा है।
फिर भी पहली मिलन की रात या सुहागरात को पत्नी के सहयोग से ही यह क्रिया पूर्ण कीजिए बलपूर्वक नहीं, क्योंकि इससे आपका वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है।
आप को मेरी ये दिलचस्प सेक्स ज्ञान की बातें कैसी लगी? और कोई भी सुझाव चाहिए तो मुझे जरुर मेल कीजियेगा।
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फेसबुक सखी-2

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फेसबुक सखी-1

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लेखक : जवाहर जैन
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार। आपने मेरी लिखी कहानियों को सराहा और अपनी राय से मुझे अवगत कराया, इसके लिए धन्यवाद।
मेरी अभी हाल की कहानी 'उतावली सोनम' पढ़ने के बाद मुझे जिस तरह के मेल आए, और इतने ज्यादा मेल आए कि उन सबका जवाब देना मुझे मुश्किल हो गया, सो जितने को जवाब दे सका ठीक, जिन्हें जवाब नहीं दे पाया, वे मुझे माफ करेंगे, उनसे बात फिर कभी।
इस बार अभी हाल में ही मेरी फेसबुक फ्रेन्ड बनी युवती की कहानी को आपसे शेयर कर रहा हूँ।
इनका नाम मैंने अपनी पत्नी के अनुरोध पर गलत लिखा है, साथ ही यह अनुरोध भी आपसे कर रहा हूँ कि इनका नाम व फोन नंबर मुझसे ना मांगें क्योंकि वह मैं किसी को नहीं दूँगा। कहानी लिखने में मैंने कोशिश की है कि मेरी बात से आपका, खासकर मेरी इस कहानी की नायिका का, जिसे मैंने रीमा नाम दिया है, दिल न दुखे, पर किसी को मेरी कोई बात बुरी लगे तो कृपया मुझे माफ करेंगे। तो अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ।
ड्यूटी से घर लौटने के बाद मैं अपना पीसी ऑन करके उसमें ही मेल का जवाब देते या फिर फेसबुक पर अपने पेज को अपडेट करने में लगा रहता। इससे मेरी बीवी स्नेहा परेशान होती, व मुझे इसके लिए ताने भी मारा करती।
अभी कल ही मैं ड्यूटी से आकर पीसी पर बैठा तभी स्नेहा मेरे पास पहुँची, और खाना खाने के लिए पूछा।
मैंने कहा- बस 10 मिनट में आता हूँ !
स्नेहा बोली- घर आने के बाद ऐसे 10 मिनट का जवाब आप चार बार दे चुके हो। चलिए जल्दी खाना खाइए, फिर बैठे रहना।
यह बोलकर वह मेरे पास पहुँच गई, इस वक्त मैं अपनी एक फीमेल फैन से याहू मैसेंजर पर चैट कर रहा था। हमारी चैट बहुत सैक्सी या यूँ कहें कि इस चैट में ही हम चुदाई कर रहे थे।
स्नेहा ने हमारी चैट देखी और पूछा- कौन है यह सेक्सी बाला।
मैंने कहा- अभी दोस्त बनी है, मुझे इसके बारे में ज्यादा नहीं पता है।
स्नेहा बोली- क्या बात है ! अब आप जिनको जानते नहीं हैं, उनसे भी सैक्स कर रहे हैं क्या?
मैं बोला- हाँ, उन्हें भी तो सैक्स का मजा मिलना चाहिए ना !
स्नेहा बोली- अब के हालात पर मैंने एक दोहा बनाया है, सुनो !
"जस्सू बैठा झाड़ पर दियो लंड लटकाए, जिसको जितना चाहिए काट-काट ले जाए।"
मैं समझ गया कि इसका साहित्यिक प्रवचन शुरू हो गया है, मैं अब चैट नहीं कर पाऊँगा। सो अपनी दोस्त से विदा लेकर नेट व पीसी बन्द किया और रसोई की ओर बढ़ लिया।
खाना खाने व घर के दूसरे काम निपटाने के बाद मैं वापस पीसी रूम पहुँचा व नेट पर अपने दोस्तों से चैट करने लगा। तभी मेरी एक बहुत अच्छी मित्र रीमा का मैसेज आया कि उसे एक काम के सिलसिले में मेरे शहर भिलाई आना है, आपके शहर में सिविक सेंटर एरिया रेलवे स्टेशन से कितनी दूर पड़ेगा।
मैंने उससे पूछा- यहाँ आप किस काम से आ रही हैं और आने-जाने का कोई साधन हैं या नहीं?
वो बोली- वहाँ एक कोचिंग इंस्टीट्यूट है, मुझे उसमें जाना है और यदि संभव हुआ तो मैं कोचिंग भी यहीं से लूँगी। अभी आपका शहर मेरे लिए एकदम नया है, इसलिए जानना चाहती हूँ।
मैंने कहा- रीमा, तुम मेरे शहर में आ रही हो, इसलिए अब किसी भी चीज की चिन्ता मत करना। तुम वहाँ से जब ट्रेन में बैठोगी, तब मुझे सूचना दे देना, बाकी यहाँ तुम्हारे रहने खाने,घूमने के सब इंतजाम मैं कर दूँगा।
वह बोली- वहाँ मुझे बस एक दिन का काम है। वहाँ से कुछ दूर बिलासपुर में ही मेरे एक रिश्तेदार भी रहते हैं, पर उन्हें मेरी वजह से परेशानी ना हो इसलिए अभी उन्हें सूचित नहीं किया।
मैं बोला- तु्म यहाँ की कोई चिन्ता मत करो, पापा मम्मी को बता दो कि निश्चिंत रहें, हम यहाँ तुम्हारा पूरा ख्याल रखेंगे।
वह बोली- पापा नहीं मानेंगे ना !
मैं बोला- तुम अपने पापा का नंबर मुझे दो, मैं बात करता हूँ उनसे।
उसने नंबर दिया व अपनी एक सहेली रश्मि का नाम देकर बोली- आप उसके परिचित हो बताकर यह बोलना कि उसने ही रीमा की कोचिंग के बारे में पता लगाकर यहाँ उसकी सहायता करने को कहा है।
मुझे भी लगा कि रीना ने यह सही किया, क्योंकि यदि मैं सीधा उन्हें रीना की मदद की बात करता तो वे 'मैं कौन हूँ?' इसकी चिंता में आ जाते, फिर रीमा उनके सवालों का जवाब देते-देते परेशान हो जाती।
मैंने स्नेहा को बुलाकर उसे पूरी स्थिति से अवगत कराया, व अब उसके पापा को फोन कर रीमा हमारे यहाँ रूकेगी, यह रिक्वेस्ट करने कहा।
स्नेहा बोली- जस्सूजी, रीमा यहाँ आ रही है, यह ठीक है पर मैं आपसे कह चुकी हूँ ना कि आप किसी कुंवारी लड़की से सैक्स नहीं करना, यह गलत होगा।
मैं बोला- सही में मैं उससे सैक्स नहीं करूँगा, वह तुम्हारे साथ ही रहेगी, और उसकी कोचिंग भी तुम्ही अपने साथ लेकर जाना।
इस तरह कुछ देर मनाने के बाद स्नेहा मानी। मैंने उसे रीमा के पापा का नंबर लगाकर फोन स्नेहा को दिया। स्नेहा ने रीमा के पापा को बताया कि रीमा की सहेली रश्मि हमारी रिश्तेदार है, उसने ही मुझे रीमा के यहाँ कोचिंग के लिए आने की जानकारी दी है। साथ ही आपका फोन नंबर देकर आपको चिंता न करने कहा है।
स्नेहा ने उन्हें कहा कि वह यहाँ हमारे घर में ही रहेगी और मैं उसे लेकर कोचिंग इंस्टीट्यूट व और जहाँ वह जाना चाहे लेकर जाऊंगी। स्नेहा की बात से रीमा के पापा काफी संतुष्ट लगे, उन्होंने बताया- नए शहर में उसे अकेले भेजने में बहुत टेंशन था, पहले मैं उसे लेकर आ रहा था, पर छुट्टी नहीं मिली। मेरा आना रूका, फिर बिलासपुर में रीमा की बुआ हैं, उन्हें फोन किया तो उनके लड़के की अभी दूसरे शहर में नौकरी लगी है। वो उसके साथ उसका नया घर जमाने चली गई है। सो उनके यहाँ से भी कोई नहीं जा पा रहा है। अब रीमा आपके शहर में बस आपके ही भरोसे है, उसका ध्यान रखिएगा।
स्नेहा बोली- आप उसकी चिंता बिल्कुल न करें, निश्चिंत होकर भेज दें, हाँ, उसे वहाँ से किस ट्रेन में बैठाएँगे, यह जरूर बता दीजिएगा, ताकि हम उसे यहाँ समय पर रिसीव कर सकें।
रीमा के पापा ने रीमा को फोन देते हुए कहा- इसे आना हैं, आप इससे ही बात कर लीजिए।
अब रीमा और स्नेहा में बात हुई। स्नेहा को उसने बताया कि वह तीसरे दिन वहाँ से निकलेगी और चौथे दिन सुबह हमारे शहर पहुँच जाएगी। उसने स्नेहा को ट्रेन का नाम भी बताया। स्नेहा से मैंने रीमा से बात करने के लिए फोन मांगा, पर उसने मुझे फोन नहीं दी और रीमा से खुद ही बात करती रही। आखिर में उसने कहा कि तुम ट्रेन से उतरकर स्टेशन पर ही हमारा इंतजार करना, मैं व जस्सूजी जल्दी ही तुम्हें लेने पहुँच जाएंगे। हाँ अपना फोन तुम आन ही रखना, क्यूंकि हमने तुम्हें देखा नहीं है, इसलिए पहचान नहीं पाएंगे।
कुछ इस तरह की बातों के बाद स्नेहा ने फोन रखा और बताया- उसे आने में चार दिन का समय है, पर जस्सूजी, मेरा यह निवेदन है कि आप लोग प्लीज यहाँ सैक्स नहीं करेंगे, क्योंकि उसके बारे में मैंने उनके पापा को निश्चिंत रहने का आश्वासन दिया है। रीमा खुद कहे तब भी आप उसे नहीं चोदेंगे, आप यह वादा करिए तभी मैं उसे यहाँ रहने दूंगी, नहीं तो उसके पापा को बोल दूंगी कि हम लोग बाहर जा रहें हैं सो वे यदि रीमा को यहाँ भेज रहें हो तो खुद आएं या किसी और को उसके साथ भेजें।
स्नेहा का अब यह रूख देखकर मेरी हवा गुल हो गई, और तुरंत स्नेहा की चिरौरी करने लगा। आखिरकार मैंने स्नेहा को आश्वासन दिया कि मैं यहाँ उसके साथ सैक्स नहीं करूँगा। तब कहीं स्नेहा उसे अपनी कस्टडी में रखने तैयार हुई।
दूसरे दिन रीमा मुझसे फेसबुक में मिली तब मैंने उसे बताया कि बाकी सब तो ठीक हैं यार पर हम इतने दिन की दोस्ती के बाद अब जब मिल रहे हैं तो भी कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि हम सैक्स नहीं कर पाएंगे। स्नेहा तुम पर नजर रखेगी और मुझसे भी यह कमिट्मेंट ले ली है।
रीमा बोली- यहाँ मम्मी-पापा भी आपकी कस्टडी में मेरे यहाँ के प्रवास पर खुश हैं, और वो जैसा भरोसा जता रहे हैं, उससे मुझे भी वहाँ सैक्स करना चोरी जैसा लग रहा है।
मैं बोला- वाह, स्नेहा तो पहले ही 'नजर रखूंगी' बोल रही है, अब तुम्हें भी सैक्स नहीं करना। तुम दोनों के इस दिल-बदल से मेरा लंड तो रह गया ना भूखा बिचारा।
रीमा बोली- आप सही कह रहे हो, मैं कुछ सोचती हूँ आपके बारे में।
मैं बोला- हाँ हाँ ! सोचो, ताकि मेरा कुछ भला हो सके।
इसके बाद रीमा से मेरी चैटिंग एक दो बार और हुई, पर तब भी वो 'जुगाड़ लगा रही हूँ, जम जाएगा तब आपको बताऊंगी।' कहती रही।
पर वह क्या जुगाड़ कर रही है, इसके बारे में पूछने पर भी नहीं बताया। हाँ, रीमा को जिस दिन यहाँ के लिए निकलना था, उस दिन शाम को स्टेशन से ही रीमा का फोन आया, रीमा बोली- जस्सूजी, मैं यहाँ ट्रेन में बैठ चुकी हूँ। कल सुबह आपके पास होऊँगी।
मैं बोला- ठीक है ना, आइए। अपना काम करके और मेरा खडा लंड छोड़कर चले जाइए, आइए स्वागत है आपका।
रीमा बोली- पापा, हमें छोड़ने स्टेशन आए हैं, ट्रेन छूटती है, तब मैं आपको बताती हूँ कि मैं आपके लिए क्या ला रही हूँ। हाँ, तब मैं
स्नेहाजी को भी अपने आने की सूचना दूंगी, इसलिए तब उनसे भी मेरी बात करा देना।
अब मैं सोच में पड़ गया- क्या ला रही होगी रीमा अपने साथ?
तभी पहले एक बार हुई बात का ध्यान आया, जब रीमा की किसी सहेली ने अपने ब्वाय फ्रेंड को सैक्स के लिए शादी तक रूकने की सलाह देते हुए उसे अपना काम निकालने के लिए एक सैक्सी डॉल गिफ्ट की थी। यह रबर की थी, व इसे फुग्गे की तरह फूंक मारकर ही फुलाना होता हैं, तब यह अपने आकार में आ जाती। इसमें चूत, गांड व मुंह में छेद बने हुए थे, आदमी जिसमें लंड डालकर चुदाई करता तो उसे ऐसा अहसास होता कि वह सही में किसी औरत को चोद रहा हैं।
यह ख्याल आते ही मैं दुखी हो गया, और सोचा कि रीमा मुझे डॉल देगी तो उसे बोलूंगा कि मैं चूत के लिए तरसता कोई कुंवारा लड़का नहीं हूँ रीमा, जिसे तुम यह बेजान डॉल दे रही हो। इससे मुझे मजा नहीं आता है, ऐसी डॉल पहले ही मेरे पास पड़ी हुई है, यह बोलकर उसे अपने पास पड़ी डॉल दिखा भी दूंगा।
इसी प्रकार के सब विचार मेरे दिमाग में आते रहे। थोड़ी देर बाद ही फोन की घंटी बजने से मेरी तन्द्रा भंग हुई। देखा तो रीमा का फोन था, वह मुझे डॉल देने वाली है, इस ख्याल से मेरा मूड बिगड़ा हुआ था, मैंने स्नेहा को आवाज दी और कहा- रीमा तुमसे बात करना चाहती है, लो !
बोलकर फोन उसे दे दिया, स्नेहा रीमा से बात करने लगी।
रीमा उसे कुछ बोली, बदले में स्नेहा बोली- ठीक है, यह अच्छी बात हैं हमें इससे कोई तकलीफ नहीं होगी, कोई बात नहीं आ जाओ।
यह बोलकर स्नेहा ने फोन बंद कर दिया।
मैंने पूछा- क्या बात है? क्या कहा उसने?
कहानी जारी रहेगी !
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मेघा की मस्ती ह

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प्रेषक : बबलू
हेलो दोस्तो,
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार,
मैं बबलू नागपुर से, मेरी पहली कहानी 'साहब बीवी और गुलाम' को आप पाठकों का अच्छा प्रोत्साहन मिला और अनगिनत जवाब तथा राय मेल द्वारा मिले हैं ! मैं सभी को जवाबी सन्देश नहीं भेज सका जिसके लिए मैं उन पाठकों से क्षमा चाहता हूँ !
एक बार की बात हैं मैं रात के करीब दो बज रहे होंगे, मैं चैटिंग कर रहा था ! मुझे मेघा नाम की एक लड़की ऑनलाइन लड़की ऑनलाइन मिली, मैंने ही उसे चाट करने के लिए ऑफर किया था !
मैं- हाय !
मेघा- हेलो !
मैं- asl?
मेघा- f-36
मैं- location?
मेघा- नागपुर
मैं- मैं भी नागपुर में रहता हूँ !
मेघा- तो बताओ अपने बारे में !
मैं- m-27
मेघा- ओके ! नाम? और क्या करते हो?
मैं- बबलू, वर्किंग !
मेघा- तुम कैसे दीखते हो?
मैं- मेरा प्रोफाइल देख लो !
मेघा- रात के 2 बज रहे हैं।
मैं- हाँ, ऑफिस का काम कर रहा था, वैसे भी कल रविवार है न?
मेघा- सब काम अभी कर लोगे तो कल क्या करोगे?
मैं- सोऊँगा !
मेघा- तो सारा दिन सोते हो क्या?
मैं- हाँ, सिर्फ दिन में !
मेघा- गर्लफ्रेंड है?
मैं- हाँ है न?
मेघा- कितनी?
मैं- एक
मेघा- सेक्स कितनी बार किया है?
मैं- गिनती नहीं किया?
मेघा- ड्रिंक का शौक है?
मैं- सब कुछ मेरे बारे में ही पूछोगी या अपने बारे में भी बताओगी?
मेघा- नहीं, पहले तुम नहीं तो बाय बाय !
मैं- अच्छा ठीक है, बोलो !
मेघा- ड्रिंक करते हो या नहीं?
मैं- ज्यादा नहीं, एक पैग या डेढ़ पैग उसके ऊपर नहीं !
मेघा- चढ़ जाती है क्या?
मैं- ऐसा कभी नहीं हुआ !
मेघा- मोबाइल नंबर दो?
मैं- ***
मैंने अपना नंबर दे दिया !
मेघा- अब पूछो तुम्हें क्या पूछना है?
मैं- अपने बारे में बताओ न?
मेघा- क्या बताऊँ?
मादरचोद, भाव खा रही थी।
मैं- बॉयफ़्रेंड है?
मेघा- नहीं, मैं शादीशुदा हूँ !
मैं- मेरा नंबर क्यों लिया !
मेघा- ऐसे ही !
मैं- अपने पति के अलावा और कितने लोगों के साथ सेक्स किया है?
मेघा- मैंने भी गिनती नहीं की है !
मैं- आपके पति को पता है इसके बारे में?
मेघा- नहीं !
मैं- मेरे साथ सेक्स करोगी?
मेघा- नहीं ! बाय !
मादरचोद ऑफ़लाइन हो गई ! मैंने सोचा थोड़ी देर और बात कर लेती तो क्या कंप्यूटर में घुस कर चोद लेता? सारा मूड खराब कर दिया ! फिर मैंने कंप्यूटर बंद किया और लंड पकड़कर सो गया ! मादरचोद से अच्छी खासी बातचीत हो रही थी !
मैं जब दूसरे दिन करीब 12 बजे सोकर उठा, मैं सोच रहा था कि आज क्या किया जाये?
तभी मेरा मोबाइल बजने लगा, मैंने फोन उठाया...
मैं- हेलो !
मेघा- सो कर उठ गए?
मैं- कौन?
मेघा- तुम्हारे लिए मेघा, इस ज्यादा तो कुछ नहीं जानना है न?
मैं- जानना है न !
मेघा- अपना पता मैसेज कर रही हूँ, पहुँच कर कॉल करना !
मैं- ठीक है !
मैंने सोचा कि तब तक मैं फ्रेश हो जाता हूँ, तो मैं नहा धोकर तैयार हो गया, मोबाइल में मैसेज आ चुका था, वो एक वाइन शॉप का पता था ! मैंने सोचा कि मुझे कहीं यह मूर्ख तो नहीं बना रही है? चलो मूर्ख ही बन कर देखते हैं ! आगे क्या होने वाला था, मैं यह जानता ही नहीं था !
मैं अपनी बाइक से 40-45 मिनट में उस वाइन शॉप के पास पहुँचा ! सही बताऊँ दोस्तो, मेरी फट भी रही थी कि कोई मुझे फंसा तो नहीं रहा है !
फिर मैंने मेघा को कॉल किया... मेघा ने कॉल उठाया !
मेघा- हाँ, पहुँच गए?
मैं- अब कहाँ आना है?
मेघा- अभी नहीं !
मेरी तो झांटें जैसे सुलग गई हों।
मैं- क्यों?
मेघा- मेरी कुछ गेस्ट आये हैं, उनके जाते ही मैं कॉल करती हूँ।
मैं- मैं रुकूँ या जाऊँ?
मेघा- तुम थोड़ा तो रुको यार, इन्तज़ार में भी तो मजा है !
मैं- ठीक है, मैं एक-डेढ़ घंटा रुकता हूँ !
मेघा- ओके बाय !
मैं- बाय !
उसने फोन काट दिया।
अब क्या करूँ? मैं समझ गया लेकिन अपने मायूस लवडे को कैसे समझाऊँ? मैंने सोचा कि किसी रेस्टोरेंट में बैठ कर टाइम पास किया जाये, मैंने अपनी बाइक स्टार्ट किया और चल दिया, थोड़ी दूर पर मेरी नजर एक बार पर पड़ी, पता नहीं मैं क्या सोचकर उस बार में बैठ गया ! मैंने एक पैग व्हिस्की आर्डर की खाने के लिए कुछ स्नैक्स भी मंगा लिए और मेरा बढ़िया टाइम पास हो रहा था ! शाम सात बज रहे थे कि तभी मेघा का फोन आया...
मैं- हाँ बोलो और कितना रुकना है?
मेघा- पहले यह बताओ कि तुम कहाँ हो?
मैं- मैं यहीं पर हूँ !
मेघा- तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?
मैं- क्यों?
मैंने सोचा कि कहीं धंधे वाली तो नहीं है?
मेघा- दो बियर लेकर आना !
मैं हैरान था, शायद इसलिए ही पूछ रही होगी कि ड्रिंक करते हो क्या।
मैं- वो तो मैं ले लूँगा लेकिन आना कहाँ है?
मेघा- यहीं पर *** अपार्टमेंट है, सफेद बिल्डिंग थर्ड फ्लोर !
मैं- लेकिन मैं तुम्हें पहचानूँगा कैसे?
मेघा- तुम अपने कपड़ों का रंग बताओ, मैं तुम्हें पहचान लूँगी !
मैं- मैंने ब्लू जींस पिंक लाइन वाली व्हाईट शर्ट पहनी हैं !
मेघा- अपार्टमेंट में लिफ्ट से आना !
मैं- लेकिन किसी ने पूछा...
इतना ही कहा था।
मेघा- फ़िक्र मत करो, यहाँ कोई सिक्योरिटी नहीं हैं, तुम बिंदास चले आओ !
मैं- ठीक 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ !
बस फिर क्या था? मैंने अपना ड्रिंक खत्म किया और उसी वाइन शॉप पर पहुँचा और दो बियर पार्सल ली, ढूँढते-ढूंढते थोड़ी देर में ही उसके बताए हुए अपार्टमेंट में पहुँचा, मैंने किसी पूछना उचित नहीं समझा, मैं लिफ्ट से तीसरी मंजिल पर पहुँचा, वहाँ पर एक ही दरवाजा था तो मैंने घण्टी नहीं बजाई, मेरी धड़कने तेज हो रही थी !
मैंने मेघा को कॉल किया और कहा- मैं दरवाजे पर खडा हूँ !
थोड़ी देर में दरवाज़ा खुला, एक सांवली औरत जिसने सफ़ेद गाउन पहना था, जैसे उसने कहा- 'कौन?' मैं तो जैसे हिल गया, मैं डरा नहीं और कहा- इस पते पर इस पार्सल (जिस में बियर थी) का आर्डर था !
मुस्कुराते हुए पार्सल ले लिया और कहा- काफी स्मार्ट हो, अंदर आ जाओ, मैं ही मेघा हूँ !
मैं- यहाँ आप अकेले रहती हो?
मैं सोफे पर ही बैठ गया और मेघा को देख रहा था। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
मेघा- नहीं, आज कोई घर में नहीं है !
बियर लेकर वो अंदर चली गई इस बार मैं उसे पीछे से देख रहा था !
कमाल का शरीर था, पूरा कसा हुआ ! मैं उसके घर को देख रहा था कि अचानक मेरी नजर उसके परिवार की फोटो पर गई !
बीच में शायद उसका 10-12 साल का बेटा होगा और बाजू में उसका पति होगा !
तभी मेघा आ गई, उसके हाथ में ट्रे थी, जिसमें बियर की दोनों बोतलें और पकोड़े थे, आई और मेरे पास बाजू में बैठ गई !
मैं- काफी मूड में दिख रही हो !
मैं उसकी जांघ पर हाथ रखते हुए बोला !
मेघा- फिलहाल तो ड्रिंक का मजा लो बच्चे !
मैं चौंक गया, मादरचोद मुझे बच्चा कह रही है, जब लंड डालूँगा, तब पता चलेगा यह बच्चा क्या चीज है?
मैंने चुपचाप बीयर उठाई और पीना शुरू किया !मुझे बियर का स्वाद कुछ अलग ही लग रहा था, शायद व्हिस्की का असर हो।
तभी मेघा ने कहा- आराम से पियो जानू, अभी तो पूरी रात बाकी है !
मैं- क्या?
मेघा- जल्दी है क्या?
मैं- नहीं !
मेघा- तो फिर आराम से मजा लो न बियर का !
मेघा मेरी गोद में बैठ गई।
मैं- क्या इसमें भी मजा है?
मेरा मुँह उसके बूब्स के पास था, सहलाते हुए !
मेघा- शरारती लोग मुझे बहुत पसंद हैं !
मेघा के एक हाथ में बीयर और दूसरा हाथ मेरे लंड पर था, हम दोनों ही जवानी का भरपूर मजा लेना चाहते थे !उफ़ यह ठंडा मौसम और जवानी का जोश अब तो मुझे नशा चढ़ने लगा था, शराब का और शवाब का भी ! मैंने आधी ही बियर पी थी बाकि मैंने सामने मेज पर रख दी क्योंकि मैं गर्म हो चुका था, मैं और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकता था, मैंने अपने आप को मेघा से अलग किया और उसे सोफे पर बैठा दिया !
मेघा- क्यों, क्या हुआ?
अचानक मेघा ने कहा।
मैं- कुछ नहीं जानेमन !
मेघा- मजा तो अभी बाकी है न?
मैं- शुरू करें?
मेघा- मुझे तो पीने दो? मैं बहुत दिनों के बाद पी रही हूँ !
मैं- ठीक है, तुम पीने का मजा लो, मैं अपना मजा लेता हूँ !
मैं मेघा के सामने बैठ गया और उसका गाउन उठाया और घुस गया उसकी लाल-लाल चड्डी उसके आजू-बाजू में चूतत की दोनों दीवारें झांक रही थी, मैंने अपने दाँतों से उसकी पैंटी पकड़ कर नीचे सरकाना शुरू किया, कि तभी मेघा ने अपने चूतड़ थोड़े उठा दिए, शायद वो भी यही चाहती थी कि मैं उसकी पैंटी उतार दूँ।
बस फिर क्या था, मैंने धीरे धीरे उसे नंगा करना शुरू कर दिया और उसे उठा कर उसके बेडरूम में गया !
मैंने मेघा को उसके बेड पर लिटा दिया और बेडरूम का ऐसी ऑन कर दिया ! उसके स्तन बहुत ही मस्त लग रहे थे ! मैंने उसके स्तनों को धीरे धीरे से दबाना शुरू किया, उसके मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी !
मैंने कहा- काफी टाईट हैं !
मेघा- थोड़ा धीरे दबाओ न, तुम्हारे हाथ बहुत सख्त हैं !
मैं- फ़िक्र मत करो, मेरा लंड इससे भी सख्त है !
वो मना करने लगी पर मैंने उसे छोड़ा नहीं।मैं उसे चूमते-चूमते उसके स्तन दबाने लगा और वो कुछ अजीब सी आवाजें निकाल रही थी- आह आ उह्ह !
मैं उसकी आवाज सुन कर और गर्म हो गया। फिर मैंने उसके चूचों को चूसना शुरु किया तो मेघा ने अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर जकड़ ली। हम एक दूसरे को चूमने लगे और उसने भी मेरी शर्ट उतार दी !
मैं समझ गया कि मेघा अब भी गर्म हो चुकी थी ! मेघा ऐसे तड़प रही थी मानो कई दिनों से चुदी न हो !
उसे देख कर तो मैं पागल सा हो गया और मेरा लंड तो जैसे फटने वाला हो गया हो !
मैं समझ गया कि मेघा ने बियर में जरूर कुछ न कुछ मिलाया है।
अचानक मेघा बोली- तुम भी अपने कपड़े उतारो ना !
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा तो उसे मजा आने लगा !
थोड़ी देर में मैंने अपना लंड मेघा के मुँह में दे दिया उसे चूसने को ! मेघा मेरा लंड के सुपारे को धीरे धीरे चूसने लगी !
मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था ! कुछ देर बाद उसकी टाँगें चौड़ी करने बाद मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और धीरे से एक धक्का मारा तो मेरा सुपारा उसकी चूत में अंदर चला गया। एक दो धक्के और दिए और पूरा लंड मेघा की फ़ुद्दी की बरसात लूट रहा था !
मैं धक्के पर धक्का मार रहा था, मेघा ने चुदते हुए कहा- मेरा पति सेक्स में बिल्कुल निकम्मा है, वो तो अपना सामान डालते पानी छोड़ देता है ! उसकी सेक्स में कोई दिलचस्पी नहीं होती, महीने दो महीनों एक बार ही करता है !
मैंने कहा- फ़िक्र मत करो, मेघा कब से इस प्यासी चूत में लण्ड की एक बूँद नहीं गिरी, लेकिन आज यहाँ पर सैलाब आएगा !
मेघा– अच्छा ! वो सारा सैलाब मैं पी जाऊँगी !
मैं तो खुश हो गया, आज यह मेरा पानी पिएगी जो मैंने आज तक किसी को भी नहीं पिलाया है।
फिर मैंने पोजीशन बदली, मैंने मेघा को घोड़ी बनाया मेघा की गांड का छेद बिल्कुल लाल था जबकि मैंने इससे पहले जितने भी देखे काले ही देखे !
मैंने सोचा कि गांड मारते हैं लेकिन यह गांड नहीं मरवाती होंगी तो? छोड़ो, चूत में भी तो मजा आ रहा है ! मैंने मेघा की चूत में लंड डाला और शुरू हो गया।
दस से बारह मिनट हो गए होंगे, मेरा पानी आने का नाम ही नहीं ले रहा था !
मैंने अपना लंड मेघा की चूत से निकाल लिया और मेघा के सामने बैठ गया !
मैंने मेघा से कहा- मेघा, बियर में क्या मिलाया था?
मेघा- कुछ भी तो नहीं !
मैं- मेघा, प्लीज़ साफ़ साफ़ बोलो?
मेघा- थोड़ी भांग, लेकिन तुम्हें तो असर ही नहीं हुआ !
मैंने मुस्कुराते हुए पूछा- अब मुझे गांड मारनी है !
मेघा- नहीं–नहीं ! बहुत दर्द होता है ! कॉलेज में मरवाती थी लेकिन अब नहीं !
मैं- धीरे धीरे करूँगा !
मेघा- प्रोमिस?
मैं- हाँ !
मैंने फिर मेघा को उलटा लिटा कर उसकी दोनों टांगों बेड से उतार दिया और उसकी दोनों टांगों को फैला दिया, फिर मैंने उसकी गांड के छेद में थूक लगाना शुरू किया ताकि लंड अंदर डालने में जोर न लगाना पड़े, थूक लगाते हुए अपनी उंगली को भी मेघा की गांड में अंदर-बाहर कर रहा था कि तभी मेघा बोली- ऊँगली डाली है या लोहे का सरिया?
मैंने कहा- न उंगली हैं ना सरिया, यह तो मेरा लंड है !
वो हंसने लगी, फिर मैंने अपना लंड मेघा की गांड पर रखा और धक्का मारा तो मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया और वो इतनी जोर से चिल्लाई कि मैं तो डर गया !
मैंने तुरंत उसका मुँह बंद किया और कहा- मेघा डार्लिंग, अभी तो सुपारा ही गया है और पूरा लण्ड बाकी है !
मेघा- नहीं, प्लीज़ बाहर निकालो ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है !
मैं- कुछ नहीं होगा, थोड़ा ही दर्द होगा ! फिर मजा ही मजा आएगा !
मेरा लंड मेघा की गांड में ही था ! मैंने फिर धीरे से एक धक्का मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी गांड में चला गया, मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा !
कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड आगे पीछे करने लगी जिससे मेरा मजा दुगुना हो गया।मेघा की गांड मारने का अलग ही मजा आ रहा था, काफी देर के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है !
मैं- मेघा !
मेघा- हाँ !
मैं- मेरा पानी गिरने वाला है, मुँह खोल कर रखो !
मेघा- गांड वाले लंड का पानी मैं मुँह में नहीं लूंगी ! अपना पानी मेरी गांड या चूत में डाल दो !
मैंने अपना सारा पानी मेघा की गांड में छोड़ दिया !
करीब डेढ़ घंटे के इस खेल के बाद मैं काफी थक गया था लेकिन मन तो भरा ही नहीं था, मेघा और मैं बेड पर लेटे थे, मैंने कहा- मेघा, तुम अपने पति को भी भांग देकर मजा ले सकती हो?
मेघा- तीन बार दूध में मिलाकर पिलाया भी, मगर पीने के बाद सो ही जाता है ! फिर क्या आलतू फ़ालतू चीजों से कब तक काम चलेगा?
मैं- कभी कोक-पेप्सी की बोतल से काम लिया है?
मेघा हंसते हुए- हाँ !
मैं- पेप्सी, कोला सब बकवास, मर्द का लंड ही बुझाये असली प्यास !
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शर्मीला की ननद-2

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शर्मीला की ननद-1

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इंटर कॉलेज कम्पीटीशन-1

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लेखिका : रोमा शर्मा
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !
मेरा नाम रोमा है, आप सबने मेरी कहानियाँ पढ़ी होंगी। एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हुई हूँ, आशा करती हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
मैं देखने में सुन्दर से ज्यादा सेक्सी लगती हूँ कालेज के दूसरे साल में हूँ।
हमारे कॉलेज में एक दूसरे कॉलेज से एथलीट कोम्पीटीशन में एक लड़का आया था, उसका नाम रोहित था, सच में क्या लगता था वो ! मैंने पहली बार अपने दिल में कोई हलचल महसूस की।
फिर भी वो अपोजिशन टीम से था तो मैं अपनी टीम को चीयर्स कर रही थी लेकिन वो हर बार विनर रहा, मेरी हूटिंग से वो परेशान भी हो रहा था लेकिन जीता आखिर में वो ही ! और ना जाने क्यों उसके जीतने से मुझे ख़ुशी भी हुई, न जाने क्यों मैं उस पर फ़िदा हुए जा रही थी।
और उस दिन पहली बार मैंने अपने स्वभाव से उलट जाते हुए उसे मुबारकबाद देने की ठानी। लेकिन मुझे अपनी दोस्तों से अपनी यह कमजोरी छुपानी भी थी। इस लिए जब वो ड्रेसिंग रूम में गया तो मैं उसके पीछे चली गई और उसे पता नहीं था। उसने वहाँ जाकर अपनी पसीने से भीगी बनियान उतारी और मेरा उसे कोंगरेचुलेशन बोलना हुआ। वो और मैं दोनों हक्के-बक्के रह गए क्योंकि वो उस समय सिर्फ एक शॉर्ट्स में ही था और उसका कसा हुआ फ़ौलादी बदन और उस पर उसके पसीने की मादक गंध ने मेरे होश उड़ा दिए।
पर उसने तेज़ी से मुझसे हाथ मिलाया और बोला- तुम रोमा हो ना?
अब मैं चकरा गई !
उसके कठोर हाथ में मेरा मुलायम हाथ था, वो बोला- तुम्हारे चर्चे हमारे कॉलेज तक हैं मिस काऊ बॉय !
और हंसने लगा।
"किस तरह के चर्चे? क्या मेरी बुराई?"
वो मेरा हाथ अभी भी पकड़े हुए था "अरे नहीं ! यही कि एक स्मार्ट लड़की जो लड़कों को भाव नहीं देती ! लेकिन मैं लकी हूँ कि तुम खुद मेरे पास आई हो !"
"तुम हो इस लायक !" मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा।
उसकी मौजूदगी और उसके हाथों में मेरा हाथ मुझे उत्तेजित कर रहे थे।
मैंने कहा- हाँ तो आज के चैम्पियन ! कहाँ है मेरी पार्टी?
वो बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं, अभी आता हूँ, और तुम्हारे साथ अकेले पार्टी मेरा सबसे बड़ा तोहफ़ा होगा !
फिर वो अपने कपड़े पहनने चेंजिंग रूम में चला गया। एथलीट कम्पीटीशन खत्म हो चुका था। सब अपने अपने घर जा रहे थे, मैं भी ड्रेसिंगरूम से बाहर आ गई और घर जाने लगी तो वो अपनी बाइक लेकर मेरे पास आया और मुझसे कहा- रोमा, मेरे साथ कॉफी पीने चलोगी?
मैंने कहा- सिर्फ कॉफी? और पार्टी का क्या?
तो उसने कहा- जो तुम बोलोगी, वही कर कर लेंगे !
मैं उसके साथ बाइक पर बैठ गई।
रोहित मुझे एक अच्छे से होटल में ले गया वहाँ हमने कॉफी पी और कुछ इधर-उधर की बातें की, कॉफ़ी खत्म होने के बाद मैंने कहा- अब मुझे चलना चाहिए।
रोहित ने कहा- रोमा, अब कब मिलोगी?
मैंने कहा- जब तुम बोलो !
और मैंने उसे अपना मोबाइल नम्बर दिया, उसने मुझे अपना नम्बर दिया।
और फिर मैंने रोहित से पूछा- क्या तुम मुझे घर तक छोड़ सकते हो?
रोहित ने कहा- हाँ क्यूँ नहीं !
उसने मुझे घर छोड़ दिया।
कुछ दिनों तक हमारी फ़ोन पर बात होती रही और हम मिले भी !
फिर एक दिन रोहित का फ़ोन आया, उसने मुझसे कहा- रोमा, क्या तुम मेरे साथ मूवी देखने चलोगी?
मुझे रोहित से बात करना और उसके साथ घूमना अच्छा लगने लगा था तो मैंने हाँ कर दी।
रोहित ने मुझसे पूछा- रोमा, तुम्हें कैसी मूवी पसंद है?
मैंने कहा- जो तुम को पसंद होगी, वही मूवी देखेंगे।
तो उसने कहा- हॉलीवुड मूवी देखने चलें क्या?
मैंने हाँ कर दी- ठीक है।
फिर रोहित ने कहा- रोमा, पहले हम मॉल घूमेंगे, फिर लंच करने के बाद मूवी देखेंगे।
रोहित ने कहा- रोमा आज तुम ब्लैक कलर की ड्रेस पहनना !
मैंने उससे पूछा- ब्लैक कलर की ही क्यूँ?
तो उसने कहा- रोमा, तुम काले रंग में ज्यादा सेक्सी लगती हो !
मैं हँसने लगी तो रोहित ने कहा- प्लीज़ रोमा, आज मेरे लिए तुम काली ही ड्रेस पहनना !
मैंने कहा- ठीक है।
फिर उसने पूछा- मैं तुम्हें किस टाइम और कहाँ से पिकअप करूँ?
तो मैंने कहा- तुम 12 बजे मुझे मेरे घर के पास के चौराहे से ले लेना !
उसने कहा- ठीक है।
फिर मैं नहा कर जब आई तो मैंने सोचा कि क्यूँ न आज मैं ब्रा-पेंटी भी ब्लैक ही पहनूँ, तो मैंने ब्रा पेंटी भी ब्लैक कलर की पहन ली और फिर ब्लैक टी-शर्ट और जीन्स पहनी और तैयार होकर 12 बजे घर के पास वाले चौराहे पर रोहित की प्रतीक्षा करने लगी।
कुछ ही देर बाद वो अपनी बाइक पर आया, उसने ग्रीन टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहनी थी, वो कुछ ज्यादा ही हेंडसम दिख रहा था। मैं उस के साथ बाइक पर बैठ गई, हम मॉल गये, रोहित मुझसे कहने लगा- रोमा, मैंने कहा था न कि तुम ब्लैक कलर में बहुत सेक्सी लगती हो ! आज तुम बहुत ही सेक्सी लग रही हो।
मैं हँसी और कहा- तुम भी कुछ कम नहीं लग रहे हो !
उसने मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया और कहा- रोमा, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ !
उसके चूमने से तो मेरे तन बदन में जैसे आग लग गई।
मैंने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुराती रही। फिर मैंने उससे कहा- चलो मुझे बहुत भूख लग रही है, चल कर लंच कर लेते हैं।
हम एक होटल में गये और लंच किया। उसके बाद हम मूवी देखने गए, शो चालू हो चूका था, वो हॉलीवुड की एक होरर मूवी थी, हम दोनों मूवी देख रहे थी कि उसमें एक डरावना सीन आया, मैं डर कर रोहित से चिपक गई, मैंने अपना सिर उसकी चौड़ी छाती पर रख दिया और दोनों हाथों से उस को पकड़ लिया, उसने भी मुझे सहारा देते हुए अपने आगोश में ले लिया।
अब मूवी में कुछ सेक्सी सीन आने लगे थे, मैं अभी भी रोहित से लिपटी हुई थी। फिर मूवी में एक सेक्स का सीन आया, उसे देख कर न जाने मुझे क्या हो गया, मैं रोहित की छाती पर हाथ फिराने लगी और रोहित ने मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया और जांघ को सहलाने लगा।
उसका यूँ सहलाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अब उसका दूसरा हाथ मेरे कंधे से होता हुआ मेरे वक्ष पर आ गया और वो मेरे उभारों से खेलने लगा, उन्हें दबाने लगा। फिर मेरा हाथ उस की छाती से घूमता हुआ नीचे जाने लगा, मैंने महसूस किया कि रोहित का लंड खड़ा हो चुका है !
ओह ! अचानक रोहित ने अपने होंठ को मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चूमने लगा। हॉल में काफी अँधेरा था तो किसी को कुछ नहीं दिख सकता था।
रोहित मेरे होंठों को चूम रहा था, मैं चाह कर भी कुछ न कर सकी, मैं भी यही चाहती थी। अब उसने अपने एक हाथ से मेरी जींस का बटन खोल दिया और अन्दर हाथ डाल कर वो मेरी पेंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा और मेरे होंठों को चूमे जा रहा था। मुझे अब मजा आने लगा था, मैं गर्म हो चुकी थी। फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठाया और कहा- चलो रोमा यहाँ से !
मैंने पूछा- पर कहाँ चलना है?
उसने कहा- तुम चलो तो ! मैं बताता हूँ।
हम आधी मूवी छोड़ कर वहाँ से निकल गये। रोहित ने मुझे बाइक पर बैठाया, मैंने उससे पूछा कि हम कहाँ जा रहे हैं?
तो उसने कहा- मेरे घर।
मैंने कहा- नहीं, तुम मुझे मेरे घर छोड़ दो, मुझे डर लग रहा है।
रोहित नहीं माना और वो मुझे अपने घर ले गया।
कहानी शुरु हो गई है।
हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
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